100 से अधिक देशों के साधकों ने लिया भाग कोरोना कॉल के कारण वर्चुअल मनाया गया गुरु पूर्णिमा पर्व
सद्गुरु द्वारा बताए गए सूत्रों का पालन करने की शपथ के साथ गुरु पर्व मनाया
गयात्री तीर्थ शांतिकुंज में गुरुपूर्णिमा पर्व समूह साधना और सद्गुरु द्वारा बताये सूत्रों को पालन करने की शपथ के साथ मनाया गया। इस वर्ष लॉकडाउन के कारण शांतिकुंज परिवार ने पर्व पूजन का कार्यक्रम भावनात्मक रूप से सम्पन्न किया। पर्व के दौरान आयोजित होने वाले सभी कार्यक्रमों में इस बार कई बदलाव हुए। किसी प्रकार का कोई मंचीय आयोजन नहीं हुआ। गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने वीडियो संदेश दिये। इसमें शांतिकुंज व देवसंस्कृति विवि परिवार ने सोशल डिस्टेसिंग का पालन करते हुए एलईडी स्क्रीन के माध्यम से लाइव प्रसारण में भागीदारी की, तो वहीं देश-विदेश के गायत्री परिवार के कार्यकर्त्ता भी सोशल मीडिया के माध्यम से आनलाइन लाइव जुड़े। आनलाइन गुरुपूर्मिणा पूजन को युट्यूब, फेसबुक, जूम सहित अनेक सोशल मीडिया प्लेटफार्म के माध्यम से प्रसारित किया गया। इस अवसर पर भारत सहित सौ से अधिक देशों के लाखों गायत्री साधकों ने भाग लिया। इस अवसर पर श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि गुरु शिष्य का मिलन दैवीय योजना से ही संभव है। सद्गुरु अपने शिष्य की पात्रता को विकसित करने के साथ उसके जीवन के अधूरेपन को दूर करने का कार्य करता है। सद्गुरु के ज्ञान का कोष सदैव भरा रहता है। वह ज्ञानवान, विवेकशील एवं भावनाओं से परिपूर्ण होता है। श्रद्धेय डॉ. पण्ड्या ने वर्चुअल प्लेटफार्म के माध्यम से शांतिकुंज से गुरुपूर्णिमा महापर्व के मुख्य कार्यक्रम को संबोधित किया। पूजन के पश्चात डॉ. पण्ड्या ने अपने उद्बोधन में कहा कि यथार्थ ज्ञान को जानने का महापर्व गुरुपूर्णिमा है। सच्चे गुरु का वरण कर उनके बताये सूत्रों को जीवन में उतारने एवं उनके सूझाये मार्गों पर चलने से शिष्य महानता की ओर अग्रसर होता है। सद्गुरु मिलना सौभाग्य जागने जैसा है। उन्होंने उपनिषद, गीता सहित विभिन्न आर्षग्रन्थों का उदाहरण देते हुए गुरु-शिष्य के संबंध को उकेरा। डॉ. पण्ड्या ने गुरु पूर्णिमा से अगले एक माह तक चलने वाले वृक्षारोपण में भी भागीदारी करने का आवाहन किया। इस अवसर पर उन्होंने गायत्री परिवार युथ ग्रुप के युवाओं को याद करते हुए कहा कि देश भर में गायत्री परिवार के युवा विगत कई वर्षों से प्रत्येक रविवार को पौधारोपण करते आ रहे हैं। संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने गुरु को भाव संवेदना की मूर्ति बताया और कहा कि गुरुपूर्णिमा आत्म मूल्यांकन का महापर्व है। उन्होंने कहा कि सद्गुरु शिष्य की श्रद्धा, प्रतिभा को उभारता है, जिससे शिष्य का स्तर जनसामान्य से ऊँचा उठता है। पूज्य गुरुदेव ने गायत्री परिवार के करोड़ों अनुयायियों को ऊँचा उठाया है। शैलदीदी ने अपने जीवन के अनुभवों को साझा करते हुए गुरु-शिष्य परंपरा पर विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर गायत्री परिवार प्रमुखद्वय ने त्रिफला पर लिखी विशेष पुस्तक सहित शांतिकुंज पंचांग-202 का विमोचन किया। संगीत विभाग के युग गायकों ने सोशल डिस्टेंस का पालन करते हुए द्वारा सुन्दर प्रस्तुतियाँ दी गयीं। भावी योजनाएँ- - आज से श्रावणी पूर्णिमा तक विश्वभर में गायत्री परिवार द्वारा होगा वृहत स्तर पर वृक्षारोपण। - बड़े शहरों में गमलों में स्वास्थ्य के अंतर्गत गमलों में शाक वाटिका रोपण अभियान। - तुलसी वृन्दावन की स्थापना। - शांतिकुंज की स्वर्ण जयंती पर देश भर में स्वर्ण जयंती वाटिका का निर्माण। - एक वर्षीय विशेष सघन साधना महापुरश्चरण अभियान।